Saturday, 2 May 2015

त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी



त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी



प्राण तोषिनी नामक ग्रन्थ में निहित कथा के अनुसार एक बार सतयुग में विश्वको नष्ट करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्तपन्न हुआ, जिससे अनेकों लोक संकटमें पड़ गए, विश्व की रक्षा करना लगभग असंभव हो गया, ब्रह्मांडीय तूफान सबकुछ नष्ट भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ रहा था, जिसे देख कर जगत की रक्षा मेंलीन भगवान् विष्णुजी को अत्यंत चिंता हुई, कोई हल न पा कर वे शिवजी को स्मरण करने लगे, तब शिव नें कहा कि शक्ति के सिवा इसे कोई नहीं रोक सकता, आप उनकी शरण में जाएँ, तब भगवान् विष्णु पृथ्वी पर आये, उनहोंने सौराष्ट्रदेश(गुजरात) में हरिद्रा सरोवर के निकट पहुँच कर घोर तपस्या आरम्भ कर दी, तब देवी शक्ति उनकी साधना से प्रसन्न हुई और उस समय मंगलवा चतुर्दशी की रात्रि को देवी भगवान विष्णु की मनसा को जान कर बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई

त्र्येलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी नें प्रसन्न हो कर विष्णुजी को इच्छित वर दिया, तब भगवान् विष्णु जी सृष्टि को विनाश से रोक पाए

देवी को बीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वम ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं  इनके शिव को एकवक्त्र महारुद्र कहा जाता है इसी लिए देवी सिद्ध विद्या है

शत्रु भय को नष्ट करने वाली देवी का नाम है बगलामुखीमाँ बगलामुखी को पीताम्बरा कहा जाता है क्योंकि वो पीले वस्त्रधारण करने वाली देवी तथा पीत वर्ण प्रिया हैं देवी माँ की किसी भी रूप की गयी साधना बना सकती है महाबलशाली, जीवन के समस्त क्लेशों का अंत करने की क्षमता वाली देवी ही बगलामुखी हैं  सृष्टि की स्तम्भन शक्ति के रूप में देवी को त्रिलोकी जानती एवं पूजती है
ये सारी सृष्टि देवी की कृपा से ही अपने पथ और परिपाटी पर स्थित हो चल रही है

शास्त्रों में देवी को ही ब्रह्म विद्या कहा गया है, देवी की कृपा से साधक त्रिकालदर्शी होने के साथ-साथ भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त करता है
साधक को सदा ही देवी की सौम्यरूप में साधना पूजा करनी चाहिए, देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती हैं औररत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं, पीले फूल और नारियल चढानेसे देवी प्रसन्न होतीं हैं देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए देवी को पीली हल्दी केढेर पर दीपक जला कर चढ़ाएं, देवी की मूर्ती पर पीला गोटेदार वस्त्र चढानेसे बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है

बगलामुखी देवी के मन्त्रों से होताहै सारे दुखों का नाश, देवी माँ का स्वत: सिद्ध महामंत्र है-

ॐ हल्रीम बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीम ॐ स्वाहा “

कोई भी साधना  Net  पर देखकर नही हो सकती। यदि Net पर देख कर कोई साधना होती तो सभी सिद्ध हो जाते ।  Net र साधना संबंधी post करने का तात्पर्य है उक्त देवी के विषय मे ज्ञान प्राप्त करना , उनके विषय मे जानना । साधना करने के लिए सद्गुरु का होना परम आवश्यक है । शक्ति साधना करने के लिए शक्तभिषेक , पूर्णाभिषेक का भी होना परमावश्यक है अत: सतगुरु के मार्गदर्शन ही साधना लाभदायक होगा....

प्रपद्ये शर्णां देवी श्रीकामाख्या स्वरूपिणीम् ।
शिवस्य दुहितां शुद्धां नमामि बगलामुखीम् ॥




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